Tuesday, May 7, 2024

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Tripura election 2023 - भाजपा का दमदार प्रदर्शन पर किंगमेकर बनेंगे राजा प्रघोत देबबर्मा , जानें कौन है ये

अंग्वाल न्यूज डेस्क
Tripura election 2023 - भाजपा का दमदार प्रदर्शन पर किंगमेकर बनेंगे राजा प्रघोत देबबर्मा , जानें कौन है ये

न्यूज डेस्क । त्रिपुरा विधानसभा चुनावों में जनता ने साफ कर दिया है कि उन्हें केंद्र सरकार की नीतियों पर भरोसा है । दोपहर तीन बजे तक के रुझानों के मुताबिक 17 सीटों पर जीत चुकी है , जबकि 17 पर ही निर्णायक बढ़त बना ली है । इसके साथ ही 60 सीटों वाली विधानसभा में भाजपा 34 सीटों पर जीत दर्ज कर शानदार प्रदर्शन करती नजर आ रही है । , लेकिन उनके इस प्रदर्शन को अगर किसी ने राज्य में झटका दिया है तो वह है राजा प्रद्योत देबबर्मा । 2019 में कांग्रेस से अलग होकर अपनी नई पार्टी बनाने वाले देबबर्मा ने भी इन चुनावों में दमदार प्रदर्शन किया है । उनकी पार्टी टिपरा मोथा पार्टी ने अब तक 7 सीटों पर जीत दर्ज कर ली है , जबकि 5 पर निर्णायक बढ़त बना ली है । उन्होंने सबसे ज्यादा नुकसान भाजपा को ही पहुंचाया है । इस सबके साथ ही उन्हें किंगमेकर कहा जा रहा है । हालांकि उन्होंने कुछ शर्तों के साथ भाजपा को समर्थन देने का ऐलान भी कर दिया है । 

चर्चाओं में बने हैं देबबर्मा

बता दें कि इस बार के विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी गठबंधन की सरकार बनती दिख रही है । इस बार के चुनाव में कांग्रेस और लेफ्ट एक साथ मैदान में उतरे थे , लेकिन उन्हें कुछ खास फायदा हुआ नहीं । इन सबके बीच त्रिपुरा में सबसे ज्यादा चर्चा राजा प्रद्योत देबबर्मा की हो रही है। राजा प्रद्योत देबबर्मा ने चुनाव से ठीक पहले एक नई पार्टी बनाई थी, जिसका नाम रखा गया टिपरा मोथा पार्टी। 

आखिर कौन है टिपरा मोथा पार्टी प्रमुख 

बता दें कि 4 जुलाई 1978 को दिल्ली में पैदा हुए प्रद्योत बिक्रम मनिक्य देबबर्मा त्रिपुरा के 185वें महाराजा कीर्ति बिक्रम किशोर देबबर्मा के इकलौते बेटे हैं। 

- राजशाही परंपरा खत्म होने के बाद महाराजा कीर्ति बिक्रम किशोर देबबर्मा भी राजनीति में उतर आए थे। वह कांग्रेस से जुड़े और सांसद चुने गए।

 - युवावस्था में वह कांग्रेस युवा मोर्चा से जुड़े और त्रिपुरा में आदिवासी वर्ग के लिए आवाज उठाने लगे। इसके बाद वह त्रिपुरा कांग्रेस के अध्यक्ष भी बने ।  

- हालांकि 2019 में कांग्रेस छोड़ने के बाद उन्होंने टिपरा मोथा का गठन किया। शुरू में यह गैर राजनीतिक संगठन था। हालांकि, 2021 में स्थानीय चुनाव में ताल ठोककर प्रद्योत बिक्रम के संगठन ने राजनीतिक पारी की शुरूआत की।  


- उनकी पत्नी महारानी बीहूबी कुमारी देवी भी कांग्रेस के टिकट पर दो बार विधायक चुनी गईं थीं। वह त्रिपुरा सरकार में मंत्री भी रह चुकी हैं। प्रद्योत की पढ़ाई शिलॉन्ग में हुई। 

 - कांग्रेस से अलग होने के बाद प्रद्योत ने ‘ग्रेटर टिपरालैंड’ की मांग रखी। प्रद्योत का कहना है कि, 'ग्रेटर टिपरालैंड' मौजूदा त्रिपुरा राज्य से अलग एक राज्य होगा। 

- 1971 में बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम के दौरान बंगाली लोगों की एक बड़ी संख्या ने त्रिपुरा में शरण ली। जनगणना 2011 के अनुसार, बंगाली त्रिपुरा में 24.14 लाख लोगों की मातृभाषा है जो यहां की 36.74 लाख आबादी में से दो-तिहाई है। प्रद्योत अलग राज्य की मांग इसलिए कर रहे हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि अलग राज्य आदिवासियों के अधिकारों और संस्कृति की रक्षा करने में मदद करेगा, जो बंगाली समुदाय के लोगों के आ जाने से अब अल्पसंख्यक हो गए हैं। 

 

 

 

 

 

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